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तीन तलाक की होगी बात-नियोग और बलात्कारी बाबाओं का ज़िक्र हम नहीं करेंगे !

नई दिल्ली (28 दिसंबर 2018)- 28 जनवरी 2018 आज भी एक मायने में इतिहास के पन्नों में दर्ज होने जा रहा है। मुस्लिम महिलाओं से जुड़े तीन तलाक़ के मुद्दे पर संसद में बिल पेश होने और क़ानून को लेकर आज का दिन हमेशा याद रखा जाएगा। तीन तलाक़ से के मामले पर सज़ा के प्रावधान के बाद से पहले मुस्लिम महिलाए कितनी असुरक्षित थी और अब बाद में कितनी सुरक्षित होगीं ये अलग सवाल है।
आज हमारा मन भी इसी मुद्दे पर बात करने का है। आज हम किसी और मुद्दे पर बात नहीं करना चाहते। आज न तो बात होगी किसी दूसरे धर्म या समुदाय की, न बात होगी महिलाओं से जुड़े किसी और मामले की। आज न बात होगी नियोग की, जिसमें अगर पति चाहे तो अपनी मर्जी से अपनी पत्नी को किसी दूसरे व्यक्ति से संभोग के लिए आदेशित कर सकता है। जिस नियोग में पत्नी को सिर्फ अपने पति की मर्जी का ध्यान रखना है, न कि अपनी मर्जी से किसी के साथ संभोग करे। यानि शादि शुदा महिला अपने पति की कमियों के बावजूद अपनी मर्जी के बजाए अपने पति की मर्जी से ही किसी दूसरे मर्द को अपना शरीर और आत्मा सौंप सकती है, ताकि उसको संतान प्राप्ति हो सके। महाभारत हो या रामायणा नियोग से पैदा होने वाले, यानि पति के होते हुए पति के ही आदेश से किसी दूसरे व्यक्ति से संभोग के बाद पैदा होने वाले राजाओं और महान लोगों की चर्चा भी आज नहीं होगी। आज न बात होगी दिल्ली के कथित बलात्कारी बाबा वीरेंद्र देव की, जिसने देश की राजधानी में ही दिल्ली में सैंकड़ो लड़कियों के साथ न सिर्फ मनमानी की बल्कि 16000 लड़कियों को अपना शिकार बनाने का कथित टारगेट बनाने का दावा किया। कहा तो यहां तक जाता है कि कई माता पिता अपनी बच्चियों को जब बाबा के जाल से निकालने की कोशिश करने लगे तो उनको मजबूर कर दिया गया। न आज बात होगी बाबा राम रहीम की अय्याशी न आसाराम के हाथों अस्मत गंवाने वाली बहन बेटियों की। न बात होगी बिना कपड़े पहने कथित जैन मुनियों के सामने बच्चियों और महिलाओं का लाइन लगाने की।
आज सिर्फ मुस्लिम महिलाओं की परेशानियां दूर करने की बात होगी। क्योंकि कुछ लोगों की नज़र में हमारी मौजूदा सरकार मुसलमानों की हितैषी हो न हो, लेकिन शायद उसने मुस्लिम महिलाओं का उद्धार करने की ठान ली है। वो भी सिर्फ तीन तलाक के मामले पर। ये अलग बात है कि कुछ लोग ये भी कहेंगे कि निभ न सकने की स्थिति में पत्नी को जलाकर मारने या हत्या करके छुटकारा पाने से बेहतर तो तलाक़ देकर रिश्ता ही ख़त्म कर लिया जाए। लेकिन आज हम ये तर्क भी नहीं सुनेंगे।
हांलाकि कुछ संकीर्ण मानसिकता के विपक्षी लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी और उनकी पत्नी को लेकर चर्चा करने की कोशिश करेंगे। लेकिन आज हम उनकी भी नहीं सुनेंगे। आज न प्रधानंमत्री नरेंद्र मोदी की पत्नी के बारे कोई बात की जाएगी, कि वो तलाक के बाद अलग हुईं हैं, अपनी मर्ज़ी से हुईं है या वो साथ है या अलग। आज न बात होगी मनुस्मृति की जिसके बारे में कहा जाता है कि कथिततौर पर उसमें महिला को ताणन यानि जूते मारने का अधिकारी माना गया है।
बहरहाल आज संसद में तीन तलाक़ पर बिल पेश करके सरकार ने साफ कर दिया है कि वो तीन तलाक़ पर मुस्लिम महिलाओं की स्थिति को लेकर गंभीर है, जोकि स्वागत योग्य है। इस क़ानून में सज़ा का प्रावधान है। अब कुछ लोग कहेंगे कि क़ानून में तो हत्या , रेप, अपहरण और तो और सार्वजनिक स्थल पर सिगरेट पीने पर भी सज़ा का प्रावधान है। ये अलग बात है कि सिगरेट कंपनियों को बंद करने के बजाय सिगरेट पीने पर सज़ा के ऐलान के बावजूद सिगरेट पीने वाले करोड़ों लोग देखे जाते रहे हैं। उधर फिरौती के लिए अपहरण यानि 364ए जैसे सख़्त क़ानून की मौजूदगी में भी करोड़ों मामले सामने के बावजूद आजतक किस किस मामले में फांसी हुई ये भी सबके सामने है। आज इस पर भी बात नहीं करेंगे की हत्या यानि आईपीसी की धारा 302 में सज़ा ए मौत या उम्र क़ैद के प्रावधान के बाद कितनों को फांसी हुई या हत्यांएं कितनी रुक गईं। ये सवाल नहीं उठाने की इजाज़त किसी को नहीं मिलेगी की घोटालों पर क़ानूनी प्रावधानों के बावजूद टू-जी और बड़े घोटाले बाज़ कैसे बच निकले। ठीक इसी तरह आज कोई मुस्लिम महिलाओं पर तीन तलाक़ मामले पर सज़ा के प्रावधान पर सवाल न उठाए कि ये भविष्य में कितना कारगर होगा। इस पर भी कोई शक ज़ाहिर न करे कि क्या तीन तलाक़ पर क़ानून बनाने के बाद मुस्लिम महिलाओं और मुस्लिम समाज पूरी तरह सुरक्षित हो जाएंगे।
हम ये मान रहे हैं कि सरकार एक स्वच्छ मंशा से मुस्लिम महिलाओं की भलाई के लिए क़दम उठा रही है। ऐसे में न कोई सरकार की मंशा पर सवाल उठाए। आज तो हम बस यही कहेंगे कि भले ही मुस्लिमों को लेकर गुजरात से लेकर बाबरी मस्जिद तक के मामले पर कितने ही आरोप लगे हों, लेकिन तीन तलाक़ के मामले पर बीजेपी सरकार की मंशा निर्मल है , स्वच्छऔर इससे मुस्लिम समाज का फायदा ही होगा।
(लेखक आज़ाद ख़ालिद टीवी पत्रकार हैं, डीडी आंखों देखी, सहारा समय, इंडिया टीवी, इंडिय न्यूज़, समेत कई नेश्नल चैनलों में महत्वपूर्ण पदों पर कार्य कर चुके हैं। वर्तमान में एक हरियाणा से प्रसारित होने वाले एक चैनल में बतौर चेनल हेड कार्यरत हैं। ) तीन तलाक़

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आज़ाद ख़ालिद टीवी जर्नलिस्ट हैं, सहारा समय, इंडिया टीवी, वॉयस ऑफ इंडिया, इंडिया न्यूज़ सहित कई नेश्नल न्यूज़ चैनलों में महत्वपूर्ण पदों पर कार्य कर चुके हैं। Read more

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