ग़ाज़ियाबाद(4 सिंतबर 2015)- यूं तो देश में सरकार ही सबसे बड़ी है, लेकिन गाजियाबाद नगर निगम के एक सरकार तो शायद सरकार से भी बड़े हो गये हैं। जी हां हम बात कर रहे हैं नगर निगम के जलकल विभाग के जीएम रतन लाल की। यूं तो उनका डिमोशन उत्तर प्रदेश सरकार ने 21 अगस्त 2015 को ही कर दिया था। लेकिन शायद वो ख़ुद को सरकार से भी ऊपर मानते हैं, तभी तो उन्होने इस सराकरी आदेश को ताक़ पर रखते हुए एक ऐसा आदेश जारी कर डाला जो कि फिलहाल नगर निगम में चर्चा का विषय बना हुआ है।
रतन लाल पिछले माह से नगर निगम में जीएम जलकल के पद पर कार्यरत हैं। और अपनी कार्यशैली को लेकर निगम में खासे चर्चित हैं। एक पॉलिसी के तहत प्रदेश शासन ने 21 अगस्त को उनका वर्तमान पद से डिमोशन करते हुए अधिशासी अभियंता के पद पर कर दिया था। लेकिन कहा जाता है कि उन्होने इस आदेश की परवाह न करते हुए धड़ाधड़ निर्देश जारी करते रहे इतना ही नहीं रतन लाल ने डिमोशन के बावजूद पुराने पद पर डटे रह कर अपने ही विभाग के एक अधिशासी अभियंता आर.के यादव के खिलाफ भी आदेश जारी कर दिए। जिसके बारे में ख़ुद कई अफसरों का मानना है कि रतन लाल को अपने डिमोशन के बाद ऐसी किसी भी आदेश जारी करने का अधिकार रह ही नहीं गया था। इतना ही नहीं चर्चा तो यहां तक है कि रतन लाल ने आर.के यादव के खिलाफ निजी खुन्नस के तहत ये कार्रवाई की है।
उधर जीएम जलकल रतन लाल से दब इस बारे में बात की गई तो उनका कहना है कि तमाम कार्रवाई नियमानुसार की गई है। कोई भी काम नियमों के विरुद्ध नहीं है। साथ ही उनका कहना था कि जिस आदेश की बात की जा रही है वह हमको अभी तक मिला ही नहीं है। ना ही नगर आयुक्त द्वारा अभी तक हमको सूचित ही किया गया है।