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कोरोना वायरस के नाम पर तबलीग़ी जमात पर निशाना!

Coronavirus Outbreak: Tablighi Jamaat Under Spotlight
TABLIHJI JAMAAT & CORONA VIRUS LOCK DOWN
TABLIHJI JAMAAT & CORONA VIRUS LOCK DOWN

नई दिल्ली(31 मार्च 2020)- कोरोना वायरस, लॉकडॉउन,पुलिस का डंडा, लाखों लोगों का पलायन, ताली और थाली बजाते बजाते अचानक कुछ पत्तलकारों ओह सॉरी पत्रकारों ने अपनी ख़बर का रुख़ तबलीग़ी जमात की तरफ मोड़ने की कोशिश शुरू कर दी है। ये सब कुछ कैसे हुआ इस पर कुछ कहने के बजाय, हम यही कहेंगे कि कोरोना को लेकर सरकार की कोशिशों में सहयोग करें, लॉकडॉउन के नियमों का पालन करें। ताकि कोरोना वायरस को बेहतर ढंग से कंट्रोल किया जा सके। लेकिन एक बात और ध्यान रखें कि पैनिक न हों और स्वास्थ्य विभाग से सहयोग करें।
यूं तो हमारे समाज में, हमारे देश में दुनियां के बेहतरीन लोग बसते हैं। लेकिन बहुत सी ख़ूबियों वाले मेरे देश में कुछ लोगों में कुछ ख़ामियां भी हैं। कुछ में तो कुछ कुछ असर सांड जैसा ही है। यानि जैसे सांड को लाल कपड़ा दिखाया उसको सब कुछ दिखना बंद हुआ। यक़ीन न आए तो आज़मा के देख लेना। या कभी आपने स्पेन या किसी दूसरे देश में बुल फाइईटिंग देखी है। नेट पर जाकर कभी भी देखी जा सकती है। बेहद ताक़तवर, समझदार, इंसानों का दोस्त और बेहद ख़ूबसूरत मासूम सांड लाल रिंग में लाल कपड़ा देखते ही बेक़ाबू हो जाता है। उसको न तो वहां बैठी हुई हज़ारों की भीड़ नज़र आती है, न ही सामने खड़ा हुआ एक कमज़ोर सा आदमी नज़र आता है, न ही वहां से बचकर निकलने वाला बड़ा सा दरवाज़ा ही नज़र आता है, न ही अपनी तबाही। बेवक़ूफी में इतना बौखला जाता है कि उसको अपना बचाव अपनी ज़रूरत और सामने वाले करोड़ों लोगों की हमदर्दी तक नज़र नहीं आती है। दरअसल इस सबके पीछे वो तमाशाई होते हैं, जो महंगे टिकट लेकर अपने फायदे या मनोरजन के लिए उस सांड और उस खिलाड़ी की जान को ख़तरे डाल देते हैं जिनका इंसानियत से कोई लेना देना नहीं होता।
अरे जनाब ये कहां की बात ले बैठे। आज तो फिलहाल देशभर में क्या दुनियां भर में कोरोना, लॉकडॉउन, पुलिस का डंडा, सड़क पर पिटते माननीय और पत्रकार, गर्भवती महिला का सैंकड़ो किलोमीटर पैदल चल कर घर पहुंचने, और कोरोना में कई दर्जन और पलायन करते समय एक्सीडेंट और भूख और कमज़ोरी से दर्जनों लोगों के मरने की ख़बर छाई हुई थी। लेकिन अचानक अब दिल्ली का तबलीग़ी जमात का मरकज़ और वहां पर कोरोना को लेकर एक दम चर्चा गर्म हो गई है।
तो जनाब हम तो ये लगने लगा कि सांड की तरह अब कुछ लोगों को सिर्फ तबलीग़ जमात नज़र आने लगी है। उनको कोरोना वायरस, भूख, पुलिस का डंडा, कनिका कपूर, सड़कों पर लाखों की भीड़, दिल्ली के आनंद विहार से लेकर बिहार तक सड़क पर अटकी लाखों की बेबस भीड़ के बजाय अब सिर्फ तबलीग़ी जमात ही नज़र आने लगी है।
हो सकता है कि तबलीग़ी जमात के दिल्ली के मरकज़ में कुछ लोगों की लापरवाही और गलती रही हो। उस पर कार्रवाई के लिए तमाम प्रावधान मौजूद हैं। लेकिन सीधे तौर पर एक समाज को और ऐसी जमात या दल को बदनाम करने की कोशिश होने लगी है जो हमेशा देश के क़ानून और देशहित का सम्मान करता है।
तबलीग़ी जमात के बारे में मैं सिर्फ इतना कहूंगा कि मैंने ग़ाजियाबाद के तबलीग़ी जमात के मरकज़ से तीन घर दूर पैदायश से लेकर लगभग 50 साल गुज़ारे हैं। यहां से घर बदलने तक मैं कभी जमात में नहीं गया। हर बार वहां के ज़िम्मेदारों में चाहे जनाब इदरीस साहब हों, या मरहूम रिज़वान साहब या फिर शिफाउल इस्लाम साहब, या फिर हाजी याकू़ब साहब, या फिर मेरे वालिद साहब के दोस्त मरहूम डॉक्टर साजिद अंसारी साहब उन्होने जब जब मुझे तबलीगी़ जमात में चलने को कहा तो मैनें हमेशा यही कहा कि मुझे 3 दिन या चालीस दिन में मत बांधो। इसके जवाब में उन्होने कभी न तो मुझसे नाराज़गी का इज़हार किया न ही मुझसे दूरी ही बनाई न ही मेरे विरुद्ध कोई द्वेश रखा। ये बात इसलिए मैं कह रहा हूं कि जो जमात सिर्फ एक अल्लाह और रसूल को मानते हुए इंसानियत के मार्गदर्शन के लिए घरों को छोड़ सकती है। वो कभी किसी को जानबूझ कर नुक़सान नहीं पहुंचा सकती है।
और हां एक बात और कुछ लोगों को शायद ये मौक़ा भी मिल गया है कि वो तबलीग़ी जमात में शामिल लोगों की शिक्षा उनके ज्ञान पर भी भाषण दे सकें। तो इतना साफ कर दूं कि यूं तो पूरे मुस्लिम समाज को दोयम दर्जे को समझने वालों की कमी नहीं है। और हो सकता है कि तबलीग़ से जुड़े व्यक्ति का दूसरे दलो के लोगों की तरह अपना कोई व्यर्तिव हो। लेकिन तबलीग़ जमात के साथ इस देश की उच्च शिक्षा के बड़े बड़े पैमाने के लोग चाहे पीएचडी या फिर डॉक्टर या इंजीनियर, और बड़े बड़ अधिकारी जुड़े हुए हैं।
हां उनमें एक कमी है। बहुत कुछ होते हुए सादगी और आजज़ी की वजह कुछ लोगों को ज़्यादा सम्मान दे देते हैं।
तो फिलहाल मैं सबसे पहले तबलीग़ी जमात के ज़िम्मेदारों और उससे जुड़े लोगों से अपील करता हूं कि सरकार से पूर्णत:सहयोग करते हुए शांति और संयम के साथ तमाम निर्देशों के पालन में कोई कमी रही हो तो उसको तुरंत दूर किया जाए।
साथ ही प्रशासन से अपील करूंगा कि कुछ लोगों द्वारा विदेशी और जिहाद जैसे शब्दों को बढ़ा चढ़ाकर पेश करने पर अंकुश लगाएं। क्योंकि यदि कोई विदेशी वहां बग़ैर पासपोर्ट या सरकारी नियमों के विरुद्ध मौजूद था तो उस पर कार्रवाई होनी चाहिए। लेकिन कुछ लोगों द्वारा पैनिक फैलाना उचित नहीं है। साथ ही कनिका कपूर या किसी दूसरे नामों की चर्चा जब हुई तो पूरे देश ने उनको पीड़ित या लापरवाह माना। कोई साज़िशकर्ता नहीं।

About The Author

आज़ाद ख़ालिद टीवी जर्नलिस्ट हैं, सहारा समय, इंडिया टीवी, वॉयस ऑफ इंडिया, इंडिया न्यूज़ सहित कई नेश्नल न्यूज़ चैनलों में महत्वपूर्ण पदों पर कार्य कर चुके हैं। Read more

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