Breaking News

HEAT STROKE से बचने की अभी से तैयारी-आपदा प्रबंधन तलाशेगा लू से बचने के उपाय

Winter season and heat stroke

नई दिल्ली (5 दिसंबर 2019)- फिलहाल भले ही आप सर्दी से बचने के लिए गर्म कपड़ों का सहारा ले रहे हों। लेकिन डिज़ास्टर मैनेजमेंट आने वाले मौसम की तैयारी में है। जिसके लिए हीट स्ट्रोक यानि लू 2020 का आयोजन बेंगलुरु में किया जा रहा है। जहां गर्म हवाओं से निपटने की तैयारी को लेकर कमियों और प्रबंधन पर दो दिवसीय कार्यशाला हो रही है।
होम मिनिस्ट्री से मिली जानकारी के मुताबिक़ राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण यानि एनडीएमए ने कर्नाटक सरकार के सहयोग से गर्म हवाओं से निपटने की तैयारियों, उसमें कमी लाने और प्रबंधन पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया है। कार्यशाला गुरुवार से शुरु हुई। इस कार्यशाल के साथ राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने लू के मौसम से पहले अपने प्रयास प्रारंभ कर दिए हैं।
हाल के वर्षों में पूरे विश्व में गर्म हवाओं का चलना प्रमुख गंभीर आपदा के रूप में उभरा है। जलवायु परिवर्तन से तापमान बढ़ रहा है। इस कारण गर्म हवाएं बहती हैं और गंभीर रूप ले लेती हैं। भारत में भी हर साल गर्म हवाएं चलती हैं। 2019 में गर्म हवाओं के चलने से 23 राज्य प्रभावित हुए, जबकि 2018 में 19 राज्यों पर गर्म हवाओं का प्रभाव पड़ा था। अनेक नगरों में ऊंचे तापमान दर्ज किए गए। सबसे गंभीर रूप से प्रभावित राज्यों में तापमान 45 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया। एनडीएमए गर्म हवाओं के प्रतिकूल प्रभावों को कम करने के लिए राज्यों के साथ काम कर रहा है।
गर्म हवा पर राष्ट्रीय दिशा-निर्देशों को समय से जारी करने, उन्हें अद्यतन बनाने और उनको कारगर ढंग से लागू करने के लिए प्रभावित होने वाले राज्यों और नगरों की तैयारी और उनकी एनडीएमए द्वारा नियमित निगरानी के प्रयास किए गए हैं। 2017, 2018 और 2019 में व्यापक जागरूकता अभियान चलाने और गर्म हवाओं से निपटने की तैयारियों से गर्म हवाओं से मरने वालों और बीमारियों में पिछले कुछ वर्षों में कमी आई है।
इस अवसर पर एनडीएमए के सदस्य सचिव श्री जी.वी.वी. सरमा ने कार्यशाला के महत्व पर बल देते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण पिछले पांच वर्षों में गर्मी के मौसम में तापमान में औसत 0.5 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई है। 2016 से विभिन्न राज्यों सरकारों और सिविल सोसायटी की सक्रिय सहभागिता के साथ बहुत कुछ किया गया है। गर्म हवा से मरने वालों की संख्या और बीमार होने वालों की संख्या में काफी कमी आई है, लेकिन इस काम में ढील देने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि कार्यशाला से विभिन्न हितधारकों को गर्म हवाओं के बारे में समझने में मदद मिलेगी और इसके प्रभावों को कम करने में सहायता होगी।
अगले दो दिनों में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से होने वाले नुकसानों से लेकर उभरती टेक्नोलॉजी और अंतर-एजेंसी समन्वय के पुराने अनुभवों पर विचार किया जाएगा। कार्यशाला में एनडीएमए के सदस्य तथा वरिष्ठ अधिकारी, गर्म हवा, पूर्व चेतावनी और पूर्वानुमान व्यक्त करने वाली एजेंसियां, राज्य सरकार अनुसंधान संस्थान और सिविल सोसायटी के सदस्य भाग ले रहे हैं।

About The Author

आज़ाद ख़ालिद टीवी जर्नलिस्ट हैं, सहारा समय, इंडिया टीवी, वॉयस ऑफ इंडिया, इंडिया न्यूज़ सहित कई नेश्नल न्यूज़ चैनलों में महत्वपूर्ण पदों पर कार्य कर चुके हैं। Read more

Related posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *