आजकल कई चैनलों के कुछ पुराने और गुरु घंटाल पत्रकार अपने चेले चपाटों, इंटर्नों और नौकरी की लाइन में खड़े बेचारे नये पत्रकारों से अपने आपको ईमानदार होने का सर्टिफिकेट जारी कराते हुए… किसी भी मामले पर अपने चैनल पर ख़बर या खोज करने के बजाए… खुली चिठ्ठियों के ज़रिए अपनी मार्किटिंग करा रहे हैं। कई कमेंट इस तरह के मिलते हैं कि…. फंला मामले पर फंला ईमानदार पत्रकार की चिठ्ठी….फंला फलां….कुछ ऐसा ही व्यापम और पत्रकार अक्षय की संदिग्ध मौत के मामले पर भी देखने को मिल रहा है….. ज़रा इनकी याददाश्त को दरुस्त करते हुए बता दिया जाए…. कि व्यापम घोटाला पिछले कई साल पुराना है… और हां ज़रा ये ईमानदार महाशय जी ये भी बता दें कि इस मामले पर इनके दंबग चैनलों या इनके द्वारा इस दौरान कितनी खोज या ख़बर की गई है….वैसे हमें भी उनके ईमानदार होने में न कोई शक है और न कोई एतराज़….!
(लेखक के इन विचारों का किसी भी पत्रकार या किसी की भी खुली चिठ्ठी से कोई लेना देना नहीं है, बावजूद इसके किसी को इसमें किसी पत्रकार का या उनके इसी तरह के कारनामे का अक्स नज़र आये तो ये पाठक की नज़र का क़सूर है)
(लेखक आज़ाद ख़ालिद टीवी पत्रकार हैं, सहारा समय, इंडिया टीवी, वॉस ऑफ इंडिया इंडिया न्यूज़ समेत कई नामी चैनलों में महत्वपूर्ण पदों पर कार्य कर चुके हैं।)