
नई दिल्ली (18 जनवरी)- गुजरात और हिमाचल चुनाव के दौरान फिल्म पद्मावत पर मचा शोर भले ही शांत नज़र आ रहा हों लेकिन गुरुवार को इस मामले में बड़ा मोड़ आ गया है। जी हां संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावत पर चार राज्यों में लगे बैन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में बहस के बाद सुप्रीम कोर्ट ने चार राज्यों में बैन को असंवैधानिक करार दे दिया है। इस मामले में सीनियर वकील हरीश साल्वे ने फिल्म निर्माताओं की पैरवी की। हरीश साल्वे ने कोर्ट से कहा कि सेंसर बोर्ड ने देशभर में फ़िल्म के प्रदर्शन के लिए सर्टिफिकेट दिया है। इसके बावजूद राज्यों ने प्रतिबंध लगाया है जो कि असंवैधानिक है। उन्होने अदालत से मांग की है कि प्रतिबंध को हटाया जाए।
सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया की बेंच ने गुरुवार को कहा कि राज्यों में क़ानून व्यवस्था बनाये रखना राज्यों की जिम्मेदारी है। कोर्ट ने कहा कि यह राज्यों का संवैधानिक दायित्व है और बैन को संविधान के आर्टिकल 21 के तहत लोगों को जीवन जीने और स्वतंत्रता के अधिकार का हनन बताया। कोर्ट ने राज्यों के नोटिफिकेशन को गलत बताया है। इससे पहले अटार्नी जनरल ने राज्यों का पक्ष रखने के लिए सोमवार का वक्त मांगा था लेकिन कोर्ट ने इस पर पहले ही फैसला दे दिया। कोर्ट में निर्माताओं का पक्ष रखते हुए हरीश साल्वे ने कहा था कि राज्यों का पाबंदी लगाना सिनेमैटोग्राफी एक्ट के तहत संघीय ढांचे को तबाह करना है। उन्होने कहा कि राज्यों को इस तरह का कोई हक नहीं है। साल्वे ने कहा कि लॉ एंड आर्डर की आड़ में राजनीतिक नफे और नुकसान का खेल हो रहा है। हम आपको याद दिला दें कि इस मामले में वायकॉम18 ने याचिका दायर की थी और चार राज्यों द्वारा लगाए गये बैन का विरोध किया था। गौरतलब है कि पद्मावत के निर्माता देशभर के सिनेमाघरों में 24 जनवरी को फिल्म का पेड प्रीव्यू रखेंगे। ताकि फिल्म देखने के बाद लोगों से मिलने वाला पॉजिटिव रिस्पोंस फिल्म के लिए फायदेमंद हो सके।
हम आपको बता दें कि पिछले मंगलवार को ही हरियाणा सरकार ने फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाने का फैसला लिया था। जबकि हरियाणा से पहले राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश की सरकारों ने भी फिल्म के प्रदर्शन पर बैन लगा दिया था।