samay saarthi portal गाजियाबाद, 18 मई 2025) : एक तरफ जहां केंद्र और प्रदेश सरकार आम जनता को राहत देने के लिए नियमों के सुविधाजनक होने की बात करती हैं, वहीं संभागीय परिवहन विभाग (RTO) में एक ऐसा मामला सामने आया है जो पूरी तरह से अव्यवहारिक और शासनादेश के विरुद्ध है। अगर यह निर्णय पूरी तरह से लागू हो जाता है, तो संभागीय परिवहन विभाग में ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने वाले लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ेगा।
दलाली प्रथा की बदनामी के बीच नया संकट
गौरतलब है कि परिवहन विभाग पहले से ही दलाली प्रथा के चलते काफी बदनामी झेल रहा है। ऊपर से अब जिस तरह से ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदन करते समय सारथी पोर्टल पर नियमावली 1989 का हवाला देते हुए आवेदक के स्वास्थ्य प्रमाण पत्र को ऑनलाइन करने के लिए केवल एक ही चिकित्सक की लॉगिन आईडी बनाया जाना लोगों की समझ में नहीं आ रहा है। खुद विभाग के अधिकारी ही इसको लेकर सवाल उठा रहे हैं कि शासनादेश के मुताबिक जब स्वास्थ्य प्रमाण पत्र जारी करने का अधिकार किसी भी पंजीकृत राजपत्रित डॉक्टर या किसी भी राजकीय अस्पताल के चिकित्सक को दिया गया है, तो ऐसे में सिर्फ एक ही चिकित्सक की नियुक्ति करते हुए लॉगिन आईडी बनाया जाना लोगों की समझ में नहीं आ रहा ।
दरअसल, हाल ही में सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी (प्रशासन) के निर्देशों की कड़ी में परिवहन निरीक्षक ने ऑनलाइन आवेदन के साथ चिकित्सा परीक्षण प्रमाण पत्र जारी करने के लिए डॉ. प्रदीप यादव को अधिकृत किया है और उनकी लॉगिन आईडी भी जारी कर दी गई है। इसके बाद ही सवाल उठने लगे हैं कि आखिर एक डॉक्टर इतने बड़े जिले को कैसे संभालेगा, साथ ही यह नियमों के पूरी तरह से खिलाफ़ भी है।
शासनादेश का उल्लंघन
दरअसल, 2021 के शासनादेश में कहा गया है कि संशोधन नियमावली के मुताबिक किसी भी राजकीय अस्पताल में तैनात चिकित्सक को मुख्य चिकित्सा अधिकारी अधिकृत कर सकता है, यानी सरकारी अस्पतालों में तैनात दूसरे चिकित्सकों को भी ड्राइविंग लाइसेंस के लिए प्रमाण पत्र जारी करने के लिए उनकी लॉगिन आईडी भी बनाई जानी चाहिए थी। इस एकतरफा फैसले से आम जनता की परेशानी बढ़ने के साथ ही परिवहन विभाग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।