
नई दिल्ली(17 मार्च 2020)-इंसाफ के सबसे बड़े मंदिर के मुखिया के तौर पर कई बड़े फैसले देने के दौरान चर्चाओं और एक महिला के गंभीर आरोपों में घिरा रहने वाला एक नाम अब लोकतंत्र की सबसे बड़ी पंचायत का सदस्य बनकर पीड़ितो और देश की आवाज़ बनाया जा रहा है। देश को ये भी याद रखना होगा कि हाल ही के दिनों में राज्यसभा के एक मेंबर और एक मंत्री और एक बड़े पत्रकार पर एक महिला ने छेड़छाड़ जैसे कुछ आरोप लगाए तो कई दशक में खड़ा किया गया उस बड़े आदमी का क़िला आनन फानन में ढह गया। इतना ही नहीं फिलहाल कई लोग तो इस शख्स के साथ न सिर्फ दिखने तक से कतरा रहे हैं बल्कि सरेआम इनका नाम भी ज़ुबान पर लाने से बच रहे हैं। बात है श्रीमान एम.जे अकबर की। लेकिन कल ही यानि सोमवार को ही एक नाम एक बार फिर उभरा है, जिस पर भले ही एक अन्य महिला ने आरोप तो कुछ इस ही तरह के लगाए थे, लेकिन उनका नाम देश की सबसे बड़ी पंचायत यानि संसद में राज्यसभा के सदस्य के मनोनीत किया गया है। ख़बर ये भी है कि उनका नाम कला के क्षेत्र में योगदान वाले खाते से किया गया। कौन सी कला ये तो नहीं पता चल सका है, लेकिन कुछ दिन पहले तक उनको चीफ जस्टिस के तौर पर और देश में पहली बार 4जजों के द्वारा सुप्रीमकोर्ट पर उंगली उठाने के लिए की गई प्रेस कांफ्रेस करने वालों में शामिल होने के तौर पर जाना जाता था। जी हां हम बात कर रहे हैं पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया श्रीमान रंजन गोगोई साहब की। हांलाकि रंजन गोगोई साहब को कुछ लोग राफेल पर कथिततौर पर सरकार के फेवर में फैसला देने, बाबरी मस्जिद के बारे में ये कहने के बावजूद कि न तो बाबरी मस्जिद को बनाने के लिए किसी मंदिर को तोड़े जाने के सबूत मिले हैं, साथ ही पहली मस्जिद में जो मूर्तियां जबरन रखी गईं तो वो अवैध थीं और 6 दिसंबर 1992 को कोर्ट के आदेशों के खिलाफ मस्जिद को शहीद करना भी गैरकानूनी था, लेकिन हमारा फैसला ये है कि मस्जिद बनाने के लिए पांच ज़मीन लो और कही और जाओ, जैसे फैसलों के लिए भी याद करते हैं। वही रंजन गोगोई आज फिर चर्चा में हैं। कुछ लोग आरोप लगा रहे हैं कि रंजन गोगोई को कुछ ख़ास मामलों में कुछ ख़ास लोगों का फेवर लेने का इनाम मिल गया है। साथ ही कुछ लोग इस मौक़े पर जज लोया की मौत और जज मुरलीधरन की ट्रांसफर की बातों को दोहराने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन हम फिलहाल इन सभी बातों से परहेज़ करते हुए श्री रंजन गोगोई को इस उपलब्धि पर बधाई देना चाहते हैं। लेकिन इतना ज़रूर याद रखना होगा कि राज्यसभा में देश और समाज का प्रतिनिधित्व करने और उनकी आवाज़ बनने वाले रंजन गोगोई साहब भले इंसाफ के मंदिर के मुख्य पुजारी रहते हुए कथिततौर पर आपकी विवादित छाप रही हो, लेकिन कोई भी अपनी छवि को कभी भी सुधार सकता है और प्रायचित कभी भी किया जा सकता है। और हां जनता को ये भी भरोसा रखना चाहिए कि सरकार हमेशा जनता के हितों और देश की भलाई के लिए ही सोचती है, और श्रीमान रंजन गोगोई साहब को राज्यसभा में भेजने के पीछे भी सरकार की यही मंशा है कि देशहित और जनहित सर्वोपरि रहे। जनता को सरकार के फैसले पर भरोसा रखना चाहिए, ताकि सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास बना रहे।