नई दिल्ली (18 जनवरी 2018)- पीएम नरेंद्र मोदी के विजन को पूरा करने के लिए सरकार ने नई पहल की है। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने नई दिल्ली में अभिनव खुला रकबा लाइसेंसिंग कार्यक्रम के तहत बोली दौर-I का शुभारंभ किया है। प्रधानमंत्री के ‘ऊर्जा सुरक्षा एवं पर्याप्तता विजन’ को साकार करने के उद्देश्य से पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने हाल के वर्षों में अनेक सुधार लागू किए हैं। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए सरकार ने गुरुवार को अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धी बोली के लिए खुला रकबा लाइसेंसिंग यानि ओएएल कार्यक्रम के तहत बोली दौर- I का शुभारंभ किया है।
इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने की। इस मौके पर कई सीनियर सरकारी अधिकारी भी मौजूद थे। यही नहीं, इस अवसर पर उद्योग जगत की अनेक हस्तियां, राजदूत, नीति निर्माता, वरिष्ठ बैंक अधिकारी, उत्खनन एवं उत्पादन यानि ईएंडपी कंपनियों के प्रमुख प्रोफेशनल भी मौजूद थे।
गौरतलब है कि भारत में पहली बार 55 बोलीदाताओं ने विभिन्न ब्लॉकों का चयन किया है। इनमें से प्रत्येक ब्लॉक को संभावित बोलीदाताओं ने स्वयं ही संभावनाओं से परिपूर्ण बेसिनों से अलग किया है। बोली लगाने के लिए 59,282 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र की घोषणा की गई है। यह सरकार द्वारा पिछले आठ वर्षों में रकबे की दृष्टि से की गई सबसे बड़ी पेशकश है। इस कार्यक्रम के दौरान पेट्रोलियम मंत्री ने नोटिस आमंत्रण ऑफर यानि एनआईओ के साथ ही ई-बोली पोर्टल को भी लांच किया। ई-बोली पोर्टल पूरी तरह से सुरक्षित एवं पारदर्शी ई-बोली प्लेटफॉर्म है जहां बोलीदाता दुनिया की किसी भी हिस्से से अपनी-अपनी बोलियां प्रस्तुत कर सकते हैं। इसके साथ ही ‘डीजीएच वन टच ’ नामक मोबाइल एप भी लांच किया गया है जो हाइड्रोकार्बन निदेशालय यानि डीजीएच एवं नीतिगत पहलों से संबंधित सूचनाएं तथा अन्य प्रासंगिक सूचनाएं चलते-फिरते प्राप्त करने का एकल केंद्र है।
इसके बाद पेट्रोलियम मंत्री ने अपने संबोधन में पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय से संबंधित ऐसे अनेक सुधारों का उल्लेख किया जिन पर अमल किया जा रहा है। जैसा कि हाइड्रोकार्बन उत्खनन एवं लाइसेंसिंग नीति (हेल्प) को प्रस्तुत करना, खोजे गए छोटे क्षेत्र (डीएसएफ), राष्ट्रीय डेटा भंडार (एनडीआर), हाइड्रोकार्बन संसाधन पुनर्मूल्यांकन अध्ययन। उन्होंने कहा कि पिछले दो दशकों में पहली बार किए गए पुनर्मूल्यांकन अध्ययन से संसाधनों के अनुमान में उल्लेखनीय वृद्धि (~50%) होने के संकेत मिले हैं। इस अवसर पर धर्मेन्द्र प्रधान ने भारत के उत्खनन एवं उत्पादन क्षेत्र में हुई प्रगति और भावी रणनीतियों से मीडिया को अवगत कराया। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय में सचिव श्री के.डी. त्रिपाठी ने इस अवसर पर भारत के उत्खनन एवं उत्पादन क्षेत्र के समग्र परिदृश्य पर एक व्याख्यान दिया। हाइड्रोकार्बन महानिदेशालय (डीजीएच) के महानिदेशक ने भारत के उत्खनन एवं उत्पादन क्षेत्र में उपलब्ध अवसरों पर एक विस्तृत प्रस्तुति दी और इसके साथ ही भारतीय तलछटी बेसिन की उप सतह में उपलब्ध व्यापक निवेश संभावनाओं पर प्रकाश डाला।