house tax गाजियाबाद(28 मई 2025) डीएम सर्किल रेट के हिसाब से नगर निगम के हाउस टैक्स बढ़ाने के फैसले का सभी विरोध कर रहे हैं। इस विरोध के चलते नगर निगम के चार पूर्व पार्षदों ने तो इस फैसले के खिलाफ मोर्चा ही खोल दिया है। पूर्व पार्षद राजेंद्र त्यागी, हिमांशु मित्तल, अनिल स्वामी और हिमांशु लव ने अपनी आपत्तियां जारी कर दीं हैं।
इस बारे में पार्षदों का पक्ष रखते हुए पार्षद राजेन्द्र त्यागी ने बताया कि गाजियाबाद नगर निगम ने 2001 में संपत्ति करों की गणना के लिए किराए के रेट निर्धारित किए थे। जिसके बाद से लगातार प्रत्येक दो वर्ष बाद दस प्रतिशत की वृद्धि होती रही है। फिर अचानक एक साथ करों में तीन से चार गुणा की बढ़ोत्तरी क्यों की जा रही है?
उन्होंने कहा कि नगर निगम अधिनियम की धारा 174 ख के अनुसार तीन विकल्पों में से नगर आयुक्त को न्यूनतम किराए की दरें, नगर निगम बोर्ड के समक्ष पेश करनी थी। लेकिन नगर आयुक्त की ओर से केवल डीएम सर्किल रेट के आधार पर संपत्ति करों को बढ़ाने के लिए अधिकतम किराए की दरें ही तय की गई है। उन्होंने कहा कि डीएम सर्किल रेल आधारित संपत्ति करों में बढ़ोत्तरी का प्रस्ताव कभी भी नगर निगम की कार्यकारिणी और सदन ने स्वीकृत नहीं किया है। 9 अक्टूबर 2024 को सदन की ओर से संपत्ति कर की नई दरों के प्रस्ताव को निरस्त कर दिया गया था। इसकी संस्तुति सदन की बैठक 7 मार्च 2025 को कर दी गई थी। उन्होंने कहा कि नगर आयुक्त की ओर से 26दिसंबर 2024 को पत्र के माध्यम से संपत्ति करों की नई दरों के प्रस्ताव को सदन की ओर से निरस्त किए जाने की जानकारी से शासन को रुबरु करा दिया था। शासन की तरफ से नगर आयुक्त को डीएम सर्किल रेट के हिसाब से करों में बढ़ोत्री का कोई निर्देश या अनुमोदन नहीं किया था। बल्कि यह कहा गया था कि उप्र नगर निगम अधिनियम 1959 की धारा 174 और उप्र नगर निगम संपत्ति कर नियमावली 2000 के प्रावधानों के तहत कार्यवाही की जाए।
हाईकोर्ट से झटका, पूर्व पार्षदों को मासिक किराए के खिलाफ स्टे नहीं मिला
गाजियाबाद(28 मई 2025) नगर निगम के डीएम सर्किल रेट के हिसाब के हाउस टैक्स बढ़ाने के लिए लागू किए गए संपत्ति कर के विरुद्ध पूर्व पार्षद राजेंद्र त्यागी, अनिल स्वामी तथा हिमांशु मित्तल व अन्य की जनहित याचिका पर उच्च न्यायालय ने स्टे का आदेश नहीं दिया। हालांकि गाजियाबाद नगर निगम को सूक्ष्म प्रति शपथ पत्र दाखिल करने के आदेश दिए हैं।
मुख्य कर निर्धारण अधिकारी डॉ संजीव सिन्हा ने बताया कि याचिकाकर्ता उच्च न्यायालय में गाजियाबाद नगर निगम के हाउस टैक्स के विरुद्ध स्थगन के आदेश मांगे जा रहे थे । उसको उच्च न्यायालय ने स्टे देने से इनकार कर दिया है। इसके साथ ही ढाई महीने बाद अगली सुनवाई होगी आदेश किया गया है गाजियाबाद नगर निगम को सूक्ष्म प्रति शपथ पत्र दाखिल करने के निर्देश दिए हैं जिस पर कार्यवाही की जाएगी।
उन्होने कहा कि उच्च न्यायालय का यह आदेश गाजियाबाद के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण आदेश है शहर के विकास कार्यों को बढ़ाने में लगा हुआ गाजियाबाद नगर निगम निरंतर कार्य कर रहा है हाउस टैक्स जिसका सबसे बड़ा आधार है, वंही शहर को भ्रमित करने वालों को शहर हित में विचार करना बहुत जरूरी हैl गाजियाबाद नगर निगम शहर वासियों के लिए कई करोड़ के विकास के प्रोजेक्ट ला रहा है जिसमें जागरूक करदाता नियमावली के तहत हाउस टैक्स जमा भी कर रहे हैं।