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नई दिल्ली लखनऊ (19 नंवबर 2019)- जनता के जीवन से जुड़े एक बड़े सवाल प्रदूषण को लेकर भले ही सरकार ने करोड़ों रुपए खर्च करके बड़ी संस्थाएं, बोर्ड और जांच दल बना दिये हों। लेकिन उनकी नींद का नुकसान देश और जनता दोनों ही भुहत रहे हैं। ऐसा ही हाल है यूपी के लगभग हर शहर के नगर निगमों और पंचायती क्षेत्रों के अनट्रीटेड एफलूएंट वॉटर यानि शहरी गंदगी और औधोगिक कचरे का सीधे नदियों में गिरने का। यमुना हो या फिर हिंडन या फिर गंगा जैसी बड़ी नदियां शहरों से सीधे गिरने वाले प्रदूषित पानी से गंदी हो रही है।
लेकिन इस बार एनजीटी ने गंगा नदी में अनट्रीटेड सीवेज वाटर को डाले जाने को रोकने में नाकाम रहने पर उत्तर प्रदेश सरकार पर 10 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है।जबकि उत्तर प्रदेश प्रदूषण बोर्ड पर 1 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल यानि एनजीटी का कहना है कि चमड़े के अवैध कारखाने और क्रोमियम के ढेर की वजह से कानपुर देहात और रनिया का पानी पीने के लायक नहीं बचा है। यूपी की योगी सरकार पर 10 करोड़ का जुर्माना और गंगा में कचरे को रोकने में नाकाम रहे उत्तर प्रदेश प्रदूषण बोर्ड पर 1 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है।
दरअसल केंद्र सरकार गंगा सफाई की सफाई को लेकर अभियान चला रही है। यहां तक कि गंगा की सफाई, साफ पानी की समस्या जैसे मामलों पर एक अलग जल शक्ति मंत्रालय तक बनाया गया है। लेकिन नतीजे सबके सामने हैं।
ऐसे में कांग्रेसी नेता प्रियंका गांधी द्वारा प्रदूषण को लेकर किये गये हमले से भी कितकिरी हुई है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में बहने वाली गंगा का वीडियो ट्वीटर पर शेयर किया था। जिसमें बिना ट्रीट किया हुआ पानी गंगा में गिरता हुआ दिखाया गया था।