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Coronavirus in india कोरोना से निबटने का दावा मच्छर काबू करने और फागिंग की सच्चाई

कौन करेगा मच्छरों को काबू 

आपके आसपास पनपती घातक बीमारी

Coronavirus in india and mosquito
Coronavirus in india and mosquito

नई दिल्ली (29 मई 2025)- दुनियां के कुछ हिस्सों में कोरोना वायरस के शोर के बीच हमारे यहां भी कोरोना वायरस को लेकर गर्मागर्म बहस और उसको काबू करने के अलावा लंबी लंबी फेंकने का सिलसिला शुरू हो चुका है। 2019 में पहली बार दुनियां और भारत कोरोना या कोविड जैसे नामों से रूशनास हुए। लेकिन हर साल बल्कि सालभर ही अपने आसपास पनपने वाले मच्छरों और उनकी वजह से जानलेवा बीमारियों से जूझते भारतवासियों के स्वास्थ्य के लिए क्या तैयारियां हैं इस सवाल से प्रशासन आंख चुराता दिखता है।
हालांकि मच्छरों को काबू करने के लिए फागिंग, एंटी लारवा और सैंकड़ों तरह के छिडकाव पर देशभर में सरकारी तौर हजारों करोड़ रुपया खर्च किया जा चुका है। लेकिन देश की कितने नगर निगम, नगर पालिकएं, पालिकाएं,ग्राम पंचायत या कोई दूसरी सिविक बाडी ऐसी हैं जो ताल ठोक कर कह सके कि उनके पास मौजूद फागिंग मशीन चालू हालत में हैं, उनके पास उसमें इस्तेमाल होने वाला कैमिकल या साल्वेंट आदि भ्रष्टाचार या कालाबाजारी से मुक्त है। और सबसे बड़ा सवाल कितनी सिविक बाडीज इस मामले पर होने वाला पिछले सिर्फ दो साल का खर्च और विवरण के अनुसार भौतिक सत्यापन कराने की हिम्मत रखतीं हैं। यह सच है कोरोना बड़ी और ज्यादा घातक बीमारी है तो निश्चित रूप से उसकी मारकिटिंग और मैंटिनेंस भी बडे़ पैमाने पर होना चाहिए। लेकिन सच्चाई यह भी है कि आपके आसपास पनपने वाले साधारण सा दिखने वाले मच्छर से कहीं अधिक जानलेवा बीमारियां पैदा होती हैं। और सच्चाई यह भी है कि कभी पुराने निमोनिया, लंग्स संबंधित बीमारियों की एडवांस स्टेज दिखने वाले कोरोना या कोविड को काबू करने के लिए जितनी तेजी, डर का माहौल, ताली थाली बजाने से लेकर बेतहाशा खर्च तक किया गया, उसके नतीजे आपके सामने हैं। लेकिन क्या मच्छरों को काबू करने के नाम पर हुआ खर्च और उसको जनहित में जमीन पर उतारने के बीच कहीं कोई समन्वय आपको नजर आता है।
जनता के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी सीधे तौर किसकी है यह सबको पता है।बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर के संविधान में चाहे निगम एक्ट हो या पंचायती एक्ट, साफ तौर पर सब कुछ तय किया जा चुका है। बावजूद इसके जमीनी हकीकत का अंदाज़ा इसी बात से किया जा सकता है कि आपके आसपास घातक मच्छर न सिर्फ पनप रहा है बल्कि प्रशासन को सीधे तौर पर चुनौती देते हुए घातक बीमारियों को बांट रहा है। रहा सवाल आपके नेताओं का, तो उनके द्वारा चुनावी मौसम में आपका याद आना बिलकुल ऐसे ही स्वाभाविक है जैसा कि चुनाव के बाद में भूल जाना।
(आज़ाद ख़ालिद टीवी पत्रकार हैं डीडी आंखों देखी, सहारा समय, इंडिया टीवी, इंडिया न्यूज़ सहित कई राष्ट्रीय चैनलों में कार्य कर चुके हैं।)

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आज़ाद ख़ालिद टीवी जर्नलिस्ट हैं, सहारा समय, इंडिया टीवी, वॉयस ऑफ इंडिया, इंडिया न्यूज़ सहित कई नेश्नल न्यूज़ चैनलों में महत्वपूर्ण पदों पर कार्य कर चुके हैं। Read more

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