कोरोना वायरस की दहशत और मौत के पंजे का तांडव ऐसा मचा है कि घरों मे क़ैद जनता ताली और थाली तक बजाने को मजूबर है, फिलहाल स्वास्थ विभाग, नगर निगम और डिज़ास्टर मैनेजमेंट …साफ सफाई, स्वच्छ पानी, फॉगिंग, डीडीटी का छिड़काव, क्लोरोक्वीन के इस्तेमाल और उपलब्ध वैक्सीनेशन जैसे उपायों के मुकाबले में कर्फ्यू और थाली या ताली पर काफी जोर देता नज़र आ रहा है….इस सबके बीच एक गंभीर बात ये भी है कि हमारे कुछ नेता और जनता के रहनुमा भी फिलहाल नदारद ही हैं। तो क्या हमारे देश के राजनीतिक दल केवल सत्ता भोगने के लिए जनता और उनके वोटों का इस्तेमाल करना चाहते हैं। क्या बुआ बबुआ या युवराज जैसे सभी नेता केवल सत्ता में रहने और जनता पर राज करने के लिए ही पैदा हुए हैं। सबसे बड़ा सवाल ये है कि अगर ये सत्ता में नहीं हैं तो क्या बतौर विपक्ष इनकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं बनती है। आज पूरा देश कई तरह की समस्याओं के अलावा कोरोना जैसे घातक वायरस से दहशत में है। लेकिन विपक्ष और दूसरे दल कहां है। क्या सत्ता से बाहर राजनीतिक दल और विपक्ष अपनी ज़िम्मेदारी निभा रहा हैं। या सत्ता को सहयोग करने और उसके कामकाज पर नज़र रखने का काम विपक्ष का नही हैं।आज इसी तरह के सवालों को लेकर आपके सामने आपका मेज़बान आज़ाद ख़ालिद हाज़िर है। तो जनाब आज सबसे पहले कोरोना वायरस को लेकर आपको एक बात साफ कर दें कि अभी तक इसके बारे में न तो ये पता है कि ये कोरोना की वजह क्या है, किस वजह से फैल रहा है, फैलता कैसे है, और न ही अभी तक कोरोना का कोई इलाज ही सामने आ सका है। साथ ही इतना और समझ लीजिए कि दुनियां की एक बड़ी ताक़त और टैक्नॉलॉजी में बेहद एडवांस चीन में ही कोरोना हज़ारों लोगों की मौत की वजह बन गया है। और इसके बाद इटली में हज़ारों को मौत की नींद सुलाकर विश्व के दूसरे देशों के अलावा अब भारत में भी अपना असर दिखाने लगा है तो यक़ीनन आपके लिए स्थिति चिंताजनक है। ऐसे में अगर हमारे देश के प्रधानमंत्री खु़द जनता को संबोधित करके इसके ख़तरे से आगाह करते हुए इससे बचाव के तरीक़े तक बता दें तो आपको इसका स्वागत करना चाहिए। मेरी आपसे बेहद विनम्र अपील है कि हर प्रकार के आपसी राजनीतिक, क्षेत्रीय, धार्मिक या किसी भी तरह के मतभेदों को भुलाकर कोरोना वायरस के ख़िलाफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सरकार की कोशिशों का सम्मान करें। आपसे ये भी रिक्वेस्ट है कि लॉकडाउन, ताली बजाने और थाली बजाने का मज़ाक़ उड़ाने के बजाए प्रधानमंत्री की अपील का हर संभव सहयोग करें। आज मैं सीधे तौर पर विपक्ष से सरकार के सहयोगी दलों से, बहन जी, अखिलेश यादव जी, नितीष कुमार जी , राम विलास पासवान से, शरद पवार जी, असददुद्दीन ओवेसी साहब, राज और उद्दव ठाकरे जी, जयंत जी और इसके अलावा भले ही मुलायम सिंह यादव जी, लालू यादव जी और अजित सिंह जी अपनी सेहत उम्र और निजी मजबूरियों की वजह से राजनीति में सक्रिय न हों, लेकिन इस समय के आपात हालात में उनके एक्सप्रीयेंस का फायदा जनता तक पहुंचाना चाहिए। इन सभी नामों को लेने का मेरा मक़सद ये है कि सभी लोगों ने थोड़ी या बहुत किसी न किसी राज्य की सत्ता भोगी है। देश के वर्तमान हालात की तरह के हालात और उनसे निबटने का अपने सत्ताकाल में उनको अनुभव है। इसके अलावा कई नेता ऐसे भी हैं जो या तो सत्ता का हिस्सा रहे हैं या फिर जनता ने उनको संसद या विधानसभा तक पहुंचाया है। जी हां आज समय है कि जब कोरोना के क़हर से देश की जनता बेहाल है। घरों में कैद जनता हर तरफ उम्मीद भरी नज़रों से देख रही है कि कहीं से कोई राहत की ख़बर आए। सरकार भरपूर कोशिश कर रही है कि कोरोना पर काबू पाया जा सके। लेकिन क्या दूसरे दलों के नेताओं को अपना एक्सपीरिंयेंस सरकार के साथ शेयर नहीं करना चाहिए था। माना कि अभी तक सत्ताधारी बीजेपी या उनके सहयोगी दलों ने विपक्ष से कोई तालमेल बिठाने की शुरआत नहीं की थी, लेकिन क्या इस मामले पर खुद दूसरे दल एक सर्वदलीय बैठक की सलाह सरकार और प्रधानमंत्री महोदय को देकर एक बड़ी पहल नहीं कर सकते थे। अक्सर देखने में आया है कि प्रधानमंत्री महोदय को राजनीतिक तौर पर निशाना बनाने और तरह तरह के सवाल उठाने की विरोधी लोग लगातार कोशिश करते रहते हैं, यहां तक कि उनकी डिग्री और शिक्षा तक को लेकर सवाल उठाने से कई लोग बाज नहीं आते हैं, लेकिन क्या इस समय निजी विरोध और सवालों से हटकर प्रधानमंत्री महोदय और सरकार को जनहित में कोरोना जैसे घातक वायरस से निबटने के लिए सहयोग या जनता के बीच विश्वास बनाने की पहल नहीं कर सकते थे। इसके अलावा लॉकडाउन, ताली और थाली के अलावा नगर निगम स्वास्थ विभाग को सुरक्षा के दूसरे उपायों जैसे कि फागिंग, सफाई अभियान,पानी की स्वच्छता के लिए क्लोरोक्वीन का इस्तेमाल और डीडीटी का छिड़काव आदि का भी ध्यान रखने की बात की जा सकती है। क्योंकि इतिहास गवाह है कि मौसम बदलने के दौर और ऐसे ही हालात में हमने इसी तरह के उपायों को भी होते देखा है। ताकि कीटाणु तेज़ी से न फैले सकें। साथ ही जिस तरह से लॉकडॉउन के दौरान लगभग सभी सरकारी विभागों के लोग घर पर हैं, तो ऐसे में सभी मंत्रियों, सासंद, विधायक और सरकारी कर्मचारी अपनी सांसद या विधायक निधि या एक या दो-दो महीने की सैलरी सरकारी खातों में जमा कराने की सराहनीय पहल कर सकते हैं, ताकि गरीबों की मदद और कई प्रकार के जनहित की योजनाओं को लागू करने में सरकार को आसानी हो सके। कोरोना के कहर के इस दौर में जनता से सरकार और प्रधानमंत्री महोदय को सहयोग की अपील के अलावा विपक्ष और दूसरे दलों के नेताओं से भी अपील है कि वो जनता में विश्वास और सरकार से सहयोग के लिए कुछ ठोस पहल करें।
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