–बीएसपी प्रमुख मायावती फिर एकदम मांड में
–ले सकतीं हैं बड़े फैसले

नई दिल्ली (17 मई 2025)- कल यानी रविवार को देश की राजनीति में एक खामोश करवट की सुगबुगाहट है। बीएसपी प्रमुख मायावती दिल्ली में राष्ट्रीय स्तर पर पदाधिकारियों की एक महत्वपूर्ण मीटिंग लेने वाली हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि बहन जी कुछ बड़े फैसलों का ऐलान कर सकती है। भले ही फिलहाल कुछ लोग बहुजन समाज पार्टी और उसकी मुखिया बहन मायावती को अपने संकीर्ण नजरिए के चश्मे से हल्का आंक रहे हों। लेकिन इतना तो तय है कि मान्यवर कांशीराम का लगाया हुआ राजनीतिक पौधा बहुजन समाज पार्टी आज भी दलित व बहुजन समाज के लिए एक आशा की किरन है, जबकि उसकी मुखिया बहन मायावती दलित समाज की प्रेरणास्त्रोत।
दरअसल इन दिनों बसपा प्रमुख मायावती दिल्ली में ही कैंप किए हुए हैं और ऐसे में बीएसपी मुखिया बहन मायावती 18 मई को दिल्ली में पार्टी की एक अहम बैठक लेने वाली हैं। जिसमें देशभर से बहुजन समाज पार्टी के पदाधिकारियों को दिल्ली बुलाया गया है। जबकि उत्तर प्रदेश के तमाम जिलाध्यक्षों के अलावा मंडलीय कोआर्डिनेटरों को भी काल किया गया है। सुश्री मायावती दिल्ली में रहते हुए ही राज्यवार बैठकें कर रही हैं। जिसके बाद सभी राज्यों के नेताओं को बुलाया गया है। गौरतलब है कि कल की यह बैठक इसलिए भी अहम मानी जा रही है कि इससे पूर्व जब बसपा मुखिया ने ऐसी बैठक बुलाई थी, तब उसमें अपने भतीजे आकाश आनंद को सभी पदों से हटाने के साथ पार्टी से निकाले जाने का फैसला भी सुनाया गया था। और यही वह फैसला था जिसके बाद सुश्री मायावती ने अपने समर्थकों और पूरे समाज को मेसेज दे दिया था कि उनके लिए पार्टी पहले है, रिश्ते नाते और परिवार बाद में। जबकि कल फिर बसपा मुखिया मायावती ने इसी तरह की बैठक बुलाई है। और आकाश आनन्द पार्टी में वापस ले लिए गए हैं तो इसीलिए भी यह बैठक अहम मानी जा रही है। क्योंकि अगर बसपा मुखिया ने आकाश आनंद को लेकर कोई बड़ा ऐलान भी कर दिया तो कोई ताज्जुब की बात नहीं।
बहरहाल कल मीटिंग में क्या होगा और बसपा का बिहार चुनाव से लेकर यूपी 2027 और लोकसभा 2029 के लिए क्या एक्शन प्लान होगा यह कहना किसी के लिए भी आसान नहीं। लेकिन इतना तो है कि भले ही कुछ लोग हाल के दिनों में बसपा के प्रदर्शन, संगठन में कथित बिखराव, बहन मायावती की बढ़ती उम्र, विरोधी दलों खासतौर से बीजेपी, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के रणनीति और दलित वोट बैंक में सेंधमारी के साथ साथ आजाद समाज पार्टी और चंद्रशेखर रावण जैसी चुनौतियां को लेकर अलग अंदाज से सोच रहे हों, लेकिन चर्चा यह भी है कि हाथी जल्दी हल्का होने वाला भी नहीं है। यह सच्चाई है कि कभी कांशीराम जी की राजनीतिक पाठशाला की होनहार छात्रा रहीं सुश्री मायावती आज भी देश की राजनीति की नब्ज को बखूबी समझती हैं। लेकिन हाल के दिनों में बसपा के गिरते ग्राफ का आंकलन करने से इतना तो साफ हो गया है कि पार्टी को बाहर से ज्यादा अंदर के लोगों ने ही नुकसान पहुंचाया है। भले बसपा मुखिया मायावती की पारखी नजर काफी तेज हो, लेकिन सच्चाई यह भी है कि जिस जिस पर उन्होंने भरोसा ज्यादा किया उससे ही धोखा भी ज्यादा मिलता रहा है। आज भी कुछ कथित भरोसेमंद लोगों ने हाल के चुनावों में टिकटों के नाम पर न सिर्फ कथित तौर पर मोटी उगाही की है, बल्कि सुश्री मायावती जी के भरोसे को तोड़ते हुए पार्टी की छवि को भी धूमिल किया है।
दिल्ली में होने वाली कल की मीटिंग को लेकर बसपा के वफादार पदाधिकारी और कार्यकर्ता बेहद उत्साहित हैं, लेकिन उनको बस एक ही चिंता है कि उनकी आदर्श और बहुजन समाज की प्रेरणास्त्रोत बहन मायावती पार्टी की आस्तीन में छिपे सांपों को कब पहचानेंगी। #bsp #bahujansamajparty #mayawati #mayavati #azadkhalid #akashanand
(लेखक आज़ाद ख़ालिद वरिष्ठ पत्रकार हैं डीडी आंखों देखी, सहारा समय, इंडिया टीवी, इंडिया न्यूज़ सहित कई राष्ट्रीय चैनलों में जिम्मेदार पदों पर कार्य कर चुके हैं।)