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फिल्म पार्टिकल्स जीता गोल्डन मयूर अवार्ड-आईएफएफआई-2019 में ज्यूरी के कई बड़े फैसले

Best Film Award being presented to film ‘Particles’ directed by ‘Blaise Harrison’, at the closing ceremony of the 50th International Film Festival of India (IFFI-2019), in Panaji, Goa on November 28, 2019.

गोवा(3 दिसंबर 2019)- गोवा में 50वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) में ब्लेस हैरिसन द्वारा निर्देशित और एशले फियालोन द्वारा निर्मित ‘पार्टिकल्स’ ने प्रतिष्ठित स्वर्ण मयूर पुरस्कार जीता है। स्वर्ण मयूर पुरस्कार में निर्देशक और निर्माता दोनों के बीच बराबर साझा किए जाने वाले 40 लाख रुपये नकद, ट्राफी और प्रशस्ति पत्र प्रदान किए जाते हैं। ज्यूरी ने कहा, ‘पार्टिकल्स किशोरावस्था के रहस्यों के बारे में एक महत्वाकांक्षी, लेकिन साधारण फिल्म है।’
लीजो होजे पेल्लिसेरी को उनकी फिल्म ‘जल्लीकट्टु’ के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का पुरस्कार दिया गया है। यह मलयालम फिल्म एक दूर-दराज के गांव के बारे में है, जहां एक भैंसा भाग जाता है और उसके बाद उन्माद भरी हिंसा का दौर शुरू हो जाता है। मानव बनाम पशु के रूप में आरंभ होने वाली इस फिल्म में मानव के पशु बनने में ज्यादा वक्त नहीं लगता। ज्यूरी ने कहा, वे इस ‘मौलिक और अराजक फिल्म में प्रदर्शित कठिन और जटिल कोरियोग्राफी’ का सम्मान करते हैं।
सर्वश्रेष्ठ निर्देशक को रजत मयूर पुरस्कार, प्रशस्ति पत्र और 15 लाख रुपये नकद पुरस्कार दिया जाता है।
सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार सियू जॉर्ज को ब्राजीलियन फिल्म ‘मारिघेल्ला’ में उनके कार्लोस मारिघेल्ला किरदार के लिए दिया गया। उन्हें हमारे तेजी से अधिकारवादी होते जा रहे दौर के लिए प्रासंगिक क्रांतिकारी का सशक्त और करिश्माई चित्रण करने के लिए यह पुरस्कार प्रदान किया गया।
सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार उषा जाधव को मराठी फिल्म ‘माई घाट : क्राइम नंबर 103/2005’ में ‘प्रभा माई’ के किरदार के लिए प्रदान किया गया। उषा जाधव को यह प्रतिष्ठित पुरस्कार ‘भ्रष्ट व्यवस्था में अपने बच्चे के सम्मान की रक्षा करने वाली एक माता के सादगीपूर्ण शक्तिशाली प्रदर्शन के लिए प्रदान किया गया।’
सर्वश्रेष्ठ अभिनेता और सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री को स्वर्ण मयूर की ट्रॉफी, प्रशस्ति पत्र और 10-10 लाख रुपये की राशि प्रदान की जाती है।
पेमा त्सेदन को उनकी फिल्म ‘बलून’ के लिए विशेष ज्यूरी पुरस्कार प्रदान किया गया। तिब्बत के चरागाहों पर आधारित इस फिल्म को ‘फिल्मी भाषा की खूबसूरती और अभिनेताओं की प्रमाणिकता’ के लिए यह पुरस्कार प्रदान किया गया।
विशेष ज्यूरी पुरस्कार के लिए 15 लाख रुपये नकद, रजत मयूर पुरस्कार और प्रशस्ति प्रदान किया जाता है।
किसी फिल्म निर्देशक की पहली श्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार ‘अबु लैला’ के लिए अमीन सिदी बोमिदियन और ‘मान्स्टर्स’ के लिए मैरियर ओल्टेन को प्रदान किया गया। ‘अबु लैला’ दो बचपन के दोस्तों की कहानी सुनाती है, जो खूंखार आतंकवादी अबु लैला की तलाश में रेगिस्तान को पार करते हैं। ‘मान्सटर्स’ तीन अध्यायों में संबंधों की दास्तान सुनाती है, जो 24 घंटे के भीतर एक दंपत्ति की वर्तमान स्थिति का वर्णन करते हैं।
इस पुरस्कार के तहत रजत मयूर, प्रमाण पत्र और 10 लाख रुपये नकद प्रदान किए जाते हैं।
अभिषेक शाह द्वारा निर्देशित ‘‘हेलारो” को ‘उसके बेमिसाल संगीत, उसके रंगों और गरिमापूर्ण कोरियोग्राफी के लिए’ ज्यूरी के विशेष उल्लेख श्रेणी के तहत पुरस्कृत किया गया। ज्यूरी ने कहा कि इस फिल्म की पृष्ठभूमि 45 साल पुरानी होने के बावजूद इसमें दिखाया गया महिला सशक्तिकरण का मसला आज और भी ज्यादा प्रसांगिक है।
रिकार्डो सेलवेट्टी द्वारा निर्देशित इतालवी फिल्म ‘रवांडा’ को आईसीएफटी-यूनेस्को गांधी पदक से सम्मानित किया गया। इस पुरस्कार की स्थापना अंतर्राष्ट्रीय फिल्म, टेलिविजन और श्रव्य दृश्य संचार परिषद (आईसीएफटी), पेरिस और यूनेस्को ने की थी। इस पदक के तहत गांधी जी का चित्र प्रदान किया जाता है। फ्रांसीसी कलाकार पियरे वाइवस ट्रेमॉइस द्वारा बनाए गए चित्र के नीचे महात्मा का संदेश : ‘अंधकार के बीच प्रकाश व्याप्त होता है’ उकेरा गया है।
संजय पी. सिंह चौहान द्वारा निर्देशित भारतीय फिल्म ‘बहत्तर हूरें’ का आईसीएफटी-यूनेस्को गांधी पदक श्रेणी में विशेष उल्लेख किया गया।

Post source : pib

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आज़ाद ख़ालिद टीवी जर्नलिस्ट हैं, सहारा समय, इंडिया टीवी, वॉयस ऑफ इंडिया, इंडिया न्यूज़ सहित कई नेश्नल न्यूज़ चैनलों में महत्वपूर्ण पदों पर कार्य कर चुके हैं। Read more

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