नई दिल्ली(1 अप्रैल 2020)- एक ऐसा वायरस जिसको देखना और उसके बारे में कुछ पता होना तो दूर जिसका नाम तक रखने में अटकलों का सहारा लिया गया उसी कोरोना के ख़ौफ से दुनियां दहशत में और देश भर लॉकडॉउन में है। 130 करोड़ की आबादी को महज़ 4 घंटे के नोटिस पर लॉकडॉउन करने के एतिहासिक फैसले के बाद देश भर से कुछ ऐसी तस्वीरें भी आईं जो कोरोना वायरस से भी ज्यादा भयावह थीं। पुलिस की लाठी ने बेक़सूर लोगों पर जमकर अपना कमाल दिखाया। लोग शिकायत तो दूर चूं तक न कर सके।
लेकिन इसी बीच दिल्ली के तबलीगी जमात के मरकज़ में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों के मिलने और उनमें से कई की मौत होने की ख़बर के आ रही हैं। इस मामले में दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस ने तबलीग़ी जमात के मरकज़ के जिम्मेदारों की खिलाफ मामला दर्ज करनी की बात की है। हांलाकि इस मामले पर तबलीगी़ जमात के मरकज़ के ज़िम्मेदारों का अपना अलग ही तर्क है। उनका कहना है कि उन्होने न सिर्फ सरकार को आगाह कर दिया था बल्कि अचानक लॉकडाउन के बाद वहां फंस गये लोगों को बाहर निकालने और उनके लिए वाहनों की परमिशन की भी मांग की गई थी। जिस पर सरकार ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की थी। लेकिन अब चूंकि मामला आगे बढ़ चुका है, इसलिए सरकार और पुलिस ने तबलीग़ जमात के ख़िलाफ कार्रवाई शुरु कर दी है। लेकिन इस सबके बीच कई दिन से पुलिस के डंडे का ख़ौफ, सड़कों पर सरेआम लोगों की पिटाई, नेता हो या पत्रकार पुलिस के हाथों लाठी से पिटने को भूल कर कुछ लोग शायद अब तबलीगी जमात के बारे में ही सोचने लगे हैं। इतना ही नहीं जिस तबलीग़ी जमात के बारे में मुस्लिम समाज भी काफी हद तक अंजान था आद उसी तबलीग़ी जमात को लेकर सोशल मीडिया से लेकर समाज तक में सर्च बढ़ गई है।
ऐसे में सवाल यही है कि क्या बीमारी और वायरस का भी धर्म होता है।
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