
-गाजियाबाद की जनता के लिए दिल्ली की तर्ज पर बनने वाला आईएसबीटी आज भी अधूरा क्यों
– करोड़ों के खर्च के बावजूद गाजियाबाद की जनता बस स्टैंड को तरसती
– सैकड़ों करोड़ की सरकारी भूमि पर करोड़ों खर्च के बाद भी रेड माल साबित हुआ सफेद हांथी
– जीडीए वीसी अतुल वत्स करना चाहते हैं मामले का जल्द निस्तारण
-रेड मॉल संपत्ति के क्रय हेतु दो अग्रणी फर्मों का प्रस्तुतीकरण सम्पन्न
-रेड मामले में गंभीर अनियमितताओं को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका लंबित
ग़ाज़ियाबाद (5 जुलाई 2025)- साल 2010 में दिल्ली में कामनवेल्थ गेम्स होने थे, और इसकी तैयारियां कई साल पहले हो रहीं थीं। और इन्हीं तैयारियों के नाम पर कथित तौर पर सरकारी धन की लूट-खसोट में सरकारी अमला जुटा हुआ था। लेकिन सबसे खास बात यह थी कि दिल्ली तो दिल्ली उसके आसपास उत्तर प्रदेश के कुछ सरकारी अधिकारी भी बहती गंगा में हाथ धोने की फ़िराक़ में थे। चाहे महामाया स्टेडियम में तैराकी के खिलाड़ी तैयार करने के नाम पर स्वीमिंगपूल और करोड़ों का खेल चला और इसका नतीजा यह रहा कि कामनवेल्थ गेम्स तो खत्म हो गये लेकिन गाजियाबाद प्रशासन स्वीमिंगपूल और खिलाड़ियों के नाम पर कुछ भी देता न दिखाई दिया। लेकिन कामनवेल्थ गेम्स की तैयारियों के नाम पर गाजियाबाद और उत्तर प्रदेश सबसे बड़ा सपना दिखाया गाजियाबाद प्रशासन व जीडीए के तत्कालीन अफसरों ने। हालांकि यह सपना बेहद लुभावना था,और इसी हिसाब से इसकी कीमत भी गाजियाबाद और उत्तर प्रदेश की जनता को आज भी चुकानी पड़ रही है। दरअसल कामनवेल्थ गेम्स के दौरान दिल्ली से सटे गाजियाबाद में एक अंतरराज्यीय बस स्टैंड यानी इंटर-स्टेट बस टर्मिनल आईएसबीटी बनाने के नाम पर पुराने बस स्टैंड पर सैकड़ों करोड़ रुपए की लगभग 52 हजार वर्ग गज सरकारी भूमि को टारगेट किया गया। और इस पर निर्माण के लिए सरकारी धन के अलावा हुडको से भी लगभग बीस करोड़ रुपए का सरकारी लोन लिया गया। और अपनी पुरानी पैंतरेबाजी के मुताबिक अब इस करोड़ों की धनराशि को साइफन करने के लिए जीडीए के कुछ तत्कालीन अफसरों ने अपने कुछ कथित पार्टनर्स की मदद से विलायती राम मित्तल जैसे नामों का इस्तेमाल किया और लगभग 32 हजार वर्ग गज कवर्ड एरिया के ऊपर कथित तौर पर निर्माण के नाम पर तमाम सरकारी रकम खुर्द-बुर्द कर डाली। इसके बाद इस पूरे मामले को दबाने के लिए पहले तो पूरे मामले की कथितरूप से फाइलें गायब की गई और बाद में इसी फर्जी निर्माण को जैसा है जहां के आधार पर महज सौ करोड़ से भी कम कीमत में बेच दिया गया। जिसके बाद जनता के लिए बस एक स्टेंड के लिए प्रस्तावित सैकड़ों करोड़ की इस सरकारी भूमि पर तत्कालीन जीडीए अफसरों की सांठगांठ से रेड माल खड़ा कर दिया गया। हम आपको याद दिला दें कि जीडीए अफसरों की इस गंभीर अनियमितता और करप्शन के खिलाफ वर्ष 2015 में गाजियाबाद के सामाजिक कार्यकर्ता आज़ाद ख़ालिद ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की (जो आज भी लंबित है), और पूरे मामले में जांच के उपरांत दोषियों के कार्रवाई और जनता की सुविधा हेतु बनने वाले बस स्टैंड के निर्माण को सुनिश्चित करने की मांग की थी। जीडीए वीसी अतुल वत्स की नियुक्ति के तुरंत बाद
रेड माल के मामले पर जब हमारे द्वारा सवाल किया गया और गाजियाबाद की जनता के मूल भूत अधिकारों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने की बात की गई तो वीसी श्री अतुल वत्स ने इस मामले को गंभीरता से हल करने का आश्वासन दिया था। लेकिन आज जीडीए द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में इस मामले में कार्रवाई और निस्तारण का तो जिक्र है लेकिन यह कहीं नहीं कहा गया कि इसके निर्माण और सरकारी धन के खुर्द-बुर्द किये जाने और सैकड़ों करोड़ की लागत से बने कथित बस स्टैंड को महज लगभग 90 करोड़ में बेचने वालों से रिकवरी कब होगी। और तो और पुराना बस स्टैंड भले ही अभी गाजियाबाद की जनता के लिए सपना बना हो लेकिन गाजियाबाद के पुराने बस स्टैंड से भी सरकारी बसों तक को बाहर से क्यों ओर कब तब संचालित किया जा रहा है।
बहरहाल हम जीडीए के द्वारा जारी की गई प्रेस रिलीज को आपसे शेयर कर रहे हैं आप खुद ही समझ सकते हैं जनहित और मूल भूत सुविधाओं के लिए जीडीए वीसी अतुल वत्स कितने गंभीर हैं…..
गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) द्वारा रेड मॉल (खसरा संख्या 352, 353, 354, 355, 358, 371, 372) के अधिग्रहण-संबंधी प्रक्रिया के तहत आज दो प्रतिष्ठित फर्मों—एनबीसीसी (इंडिया) लिमिटेड एवं साक्षी फिनकैप प्राइवेट लिमिटेड—ने अपनी-अपनी विस्तारपूर्वक प्रस्तुतियाँ दीं। प्रस्तुतिकरण के माध्यम से दोनों संस्थाओं ने रेड मॉल की संपत्ति क्रय करने के प्रस्ताव, अनुमानित लागत एवं परियोजना-पुनरुद्धार की रूपरेखा उजागर की। जीडीए की मूल्यांकन समिति प्रस्तुत प्रस्तावों का तुलनात्मक विश्लेषण कर यह निर्धारित करेगी कि किस फर्म का प्रस्ताव प्राधिकरण के हित में अधिक लाभकारी है।

NCLT में उल्लेखनीय सफलता
रेड मॉल प्रकरण से जुड़े वित्तीय विवाद में जीडीए ने राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (NCLT), नई दिल्ली की पीठ-द्वारा 22 जनवरी 2025 को पारित आदेश के माध्यम से निर्णायक जीत हासिल की है—
केस संख्या: IA-3686/2022 IN IB CP (IB)-652 (PB)/2019
निर्णय के तहत जीडीए को फाइनेंशियल क्रेडिटर का दर्जा प्राप्त* हुआ।
परिणामस्वरूप प्राधिकरण को ₹ 2,17,18,66,407 (दो सौ सत्रह करोड़ अट्ठारह लाख छियासठ हज़ार चार सौ सात) की वसूली का वैधानिक अधिकार प्राप्त हुआ, जो 28 फ़रवरी 2022 तक बकाया राशि है।
उपाध्यक्ष, जीडीए के निर्देशन में अधिकारीयों ने NCLT की प्रत्येक सुनवाई में भाग लेकर सुदृढ़ पैरवी सुनिश्चित की और केस-प्रगति पर नियमित समीक्षा तथा रणनीति निर्धारण किया।