दिल्ली(23जुलाई2015)- दिल्ली के मुख्यमंत्री अगर विज्ञापन पर 526 करोड़ ख़र्च कर सकते हैं तो एक दलित लड़की के प्रवार की मदद को 20 लाख क्यों नहीं ? ये कहना है कि एससी कमिशन के उपाध्यक्ष डॉ. नेरका का। दिल्ली के चर्चित मीनाक्षी हत्याकांड मामले में गुरवार को राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग यानि एससी कमीशन के उपाध्यक्ष डॉक्टर राजकुमार वेरका ने दिल्ली पुलिस की कार्रवाई पर असंतुष्टि और नाराजगी जताई है। उन्होने 27 जुलाई सोमवार को दिल्ली पुलिस कमिश्नर बी.एस बस्सी को नोटिस जारी कर आयोग के दफ्तर में तलब किया है। डॉक्टर वेरका ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को भी नोटिस जारी कर दलित पीड़ित परिवार को 20 लाख रूपये का रिलीफ फण्ड, परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी तथा पीड़ित परिवार के बीमार सदस्यों का मुफ्त इलाज कराने के निर्देश दिए हैं।
नई दिल्ली की पंजाबी बस्ती, आनंद पर्वत की रहने वाली मीनाक्षी के पिता राजकुमार तथा मीनाक्षी की माँ उषा देवी ने आयोग के उपाध्यक्ष डॉक्टर राजकुमार वेरका के समक्ष गुरुवार को अपने ब्यान रिकॉर्ड करवाये। कमिशन के उपाध्यक्ष डॉक्टर राजकुमार वेरका के मीडिया एडवाइज़र विकास दत्त द्वारा जारी एक रिलीज़ के मुताबिक़ डॉक्टर वेरका पीड़ित परिवार के बयान रिकॉर्ड करने के बाद दिल्ली पुलिस से खफा दिखे। पीड़ित परिवार ने आरोप लगाया था कि उनकी बेटी को मारने वाले मुख्य आरोपी जयप्रकाश और इलू थे और उनके साथ उनकी मां शशि भी शामिल थी जो उनके पड़ोस में रहती है, लेकिन पुलिस ने एफआईआर में सिर्फ लड़कों का नाम ही रखा जबकि मुख्य साजिश करने वाली शशि को एफआईआर से बाहर रखा। रिलीज़ में बताया गया है कि इस मामले में मुख्य गवाह कमलेश के बयान भी पुलिस ने दर्ज नहीं किये। 2013 में पीड़ित परिवार ने उक्त आरोपियों के खिलाफ थाना आनंद पर्वत में एक शिकायत दर्ज करवाई थी लेकिन पुलिस ने कोई उचित कार्रवाई नहीं की। अगर उस वक़्त पुलिस गंभीरता से कार्रवाई करती तो शायद मीनाक्षी जिन्दा होता। आयोग इन सभी बातों पर पुलिस विभाग से नाराज़ दिखा। मीनाक्षी के पिता खुद कैंसर के मरीज हैं और उनकी पत्नी शुगर की मरीज। घर में सिर्फ मीनाक्षी ही पढ़ने के साथ साथ काम करके घर का खर्च चलाती थी।
डॉक्टर वेरका ने दिल्ली के मुख्यमंत्री को नोटिस जारी कर पीड़ित परिवार को 20 लाख रूपये देने को कहा है। डॉक्टर वेरका ने कहा कि केजरीवाल विज्ञापन में 526 करोड़ रूपये खर्च सकते हैं तो एक दलित परिवार की मदद करने में इतना सोच विचार क्यों ? सिर्फ 5 लाख रूपये का मुआवजा पीड़ित परिवार के लिए काफी नहीं है। पीड़ित परिवार को कम से कम 20 लाख रूपये दिल्ली सरकार दे और इसके साथ साथ एक सरकारी नौकरी और राजकुमार और उसकी पत्नी उषा का इलाज़ दिल्ली सरकार बिलकुल मुफ्त करवाये, ये निर्देश आयोग के उपाध्यक्ष ने दिए हैं।