Breaking News

योगी के गाजियाबाद दौरे पर कई घोटालों को लेकर कुछ अफसर बेचैन! ईमानदार पत्रकारों को दूर रखने की तैयारी!

yogi in ghaziabad
yogi aditynath

गाजियाबाद (30 अगस्त 2017)- ईमानदारी छवि, परिवार वाद और भाई भतीजावाद से दूर, ऑन द स्पॉट कार्रवाई के लिए मशहूर उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ का 31 अगस्त को गाजियाबाद का दौरा कई अफसरों की बेचैनी की वजह बना हुआ है। मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी के गाजियाबाद आगमन को लेकर कई अफसरों की नींद उड़ी हुई है।
दरअसल गाजियाबाद में हुए कई बड़े घोटाले यूं तो सबके सामने हैं लेकिन चाहे माया सरकार हो या फिर यादव एंड संस की सरकारें, यहां के कई अफसरों ने इनको अभी तक मैनेज किये रखा है। लेकिन 31 अगस्त को गाजियाबाद आ रहे योगी आदित्यनाथ की नज़र घोटालों की उन फाइलों पर न पड़ जाए इसी को लेकर कुछ अफसर बेहद बेचैन हैं।
चाहे कई हज़ार करोड़ की लागत से बना नया बस अड्डा यानि नेहरु विकास टर्मिनल घोटाला हो, महामाया स्टेडियम का स्वीमिंग पूल या फिर सरकारी खर्च पर गरीबों के लिए लाई गईं कई आवासीय योजनाओं की बंदरबांट । सरकारी ख़जाने को करोड़ों का चूना लगाने और आम जनता की सुविधाओं की बंदरबांट लगातार जारी है, भले ही प्रदेश में सरकारे आती रहीं और जाती रहीं, लेकिन ऊपर पहुंचने वाले मोटे चढ़ावे के चश्मे ने कभी सच्चाई को बेनक़ीब नहीं होने दिया।
जिस करप्शन और सरकारी ख़जाने की लूट के ख़ात्मे के आश्वासन पर जनता ने बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में प्रचंड बहुमत तक पहुंचाया, उस ही करप्शन की कई फाइलें बतौर नमूना गाजियाबाद में भी मौजूद है। वैसे भी योगी आदित्यनाथ से जनता को बेहद उम्मीदें और जनता का मानना है कि जिस शख्स ने जनता के हित में परिवार तक त्याग दिया हो उसका गाजियाबाद आगमन मामूली बात नहीं है।

क्या आपने कभी सोचा कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा हज़ारों करोड़ खर्च के बावजूद गाजियाबाद में सैंकड़ों बसो और वाहनों को संचालित करने और यात्रियों के लिए रोडवेज बस स्टैंड के अलावा एक भी बस स्टैंड क्यों नहीं है। क्या आपने कभी सोचा कि शहर भर में सड़क के दोनों ओर बारिश और धूप के दौरान खुले में सवारी के इंतजार में खड़े यात्रियों और सड़क पर जाम लगाने वाले वाहनों का असल मुजरिम कौन है। आइए इसी तरह के कुछ दूसरे सवालों से आज पर्दा उठाते हैं।

दरअसल उत्तर प्रदेश सरकार ने कई साल पहले हॉट सिटी गाजियाबाद और दिल्ली एनसीआर की जनता के लिए अत्याधूनिक अंतर्राज्यीय बस स्टैंड बनाने के लिए दिल खोल कर पैसा खर्च किया था। लगभग 54000.00 वर्ग मीटर पर कई करोड़ रुपये की लागत से लगभग 8 मंजिला इमारत भी बनाई गई। जिसमें कई सौ बसों के खड़े होने और संचालन की सुविधा थी। साथ ही ऊपरी हिस्सों में यूजीसी सहित कई अन्य सरकारी व गैर सरकारी कार्यलय बनाए गये थे। गाजियाबाद की बढ़ती आबादी और ट्रेफिक को देखते हुए यह बस स्टैंड किसी संजीवनी से कम नहीं था।

लेकिन इस बस स्टैंड के निर्माण के दौरान जीडीए, पुलिस व जिला प्रशासन के कुछ अफसरों ने निर्माण के नाम पर अपनी जेबी संस्थाओं और अपने रिश्तोंदारों और स्लीपिंग पार्टनरों को करोड़ों रुपए बिना किसी काम के ही साइफन कर दिये थे। और सरकारी खजाने की यही बंदरबांट इस बस स्टैंड के अंत की वजह भी बनी। इतना ही नहीं मामले को दबाने और अपनी गर्दन बचाने के लिए जीडीए, जिला प्रशासन और पुलिस ने नेहरु विकास मीनार से जुड़ी फाइलों को गायब कर दिया और पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर मामले पर लीपापोती कर दी। वैसे तो फिलहाल मामला अदालत तक जा पहुंचा है लेकिन अफसरों द्वारा कथिततौर पर अदालत तक को गुमराह करने की चर्चाएं गर्म हैं। मामले को दबाने के लिए कई हजा़र करोड़ रुपए की लागत से बने बस स्टैंड को प्राइवेट बिलडर को औने पौने में बेच दिया गया। जबकि आरोप है कि असल डील का कुछ हिस्सा ही सरकारी खजाने में जमा कराया गया है बाकी की रकम अंडर द टेबल अफसरो और उनके आक़ाओ तक पहुंचा दी गई है। लेकिन सच्चाई यही है कि नेहरु विकास मीनार यानि बस स्टैंड के निर्माण और उसको प्राइवेट बिल्डर को बेचने और वर्तमान में वहां एक मॉल बनने के खेल में कई अफसरों और राजनेताओं ने करोड़ों के वारे न्यारे कर लिये हैं।
बहरहाल योगी आदित्यनाथ के आगमन पर इस घोटाले से जुड़े वर्तमान और कुछ सेवानिवृत हो चुके कुछ अफसरों के कोशिश है कि इस मामले की भनक सीएम को न लग सके।
इसी तरह दिल्ली में होने वाले कॉमनवेल्थ गेम की तैयरियों के लिए महामाया स्टेडियम में बनने वाले स्वीमिंग पूल के निर्माण पर भी कई सवाल उठते रहे हैं। यहां तक जिलाधिकारी की जांच में कई खामियां पाई गईं लेकिन चांदी की जूती से सब ठीक कर लिया गया।
उधर प्रताप विहार व कई स्थानों पर गरीबों के लिए सस्ते आवास के लिए सरकारी तौर पर करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद जीडीए द्वारा बनाए गये सैंकड़ों मकानों को प्राइवेट बिल्डरों को बेचे जाने का मामला भी कई अफसरों की नींद उड़ने की वजह बना हुआ है। प्रताप विहार का दि क्रींसेट अपार्टमेंट और कृष्णा अपार्टेमंट और के होम्स आदि कई ऐसे योजनाओं थी जो बनाई तो गईं तो गरीबों के लिए। लेकिन उनको जीडीए और गाजियाबाद प्रशासन और पुलिस के कुछ अफसरों ने मिल कर अपने स्लीपिंग पार्टनर बिल्डरों को बेच दिया। इस खेल में भी सरकारी खजाने को भले ही करोड़ों का चूना लगा हो लेकिन करप्ट सिस्टम के कुछ लोग रातों रात करोड़पति भी बन गये थे।
ऐसे में चर्चा है जिले के कुछ अफसरों की कोशिश है कि योगी के आगमन के समय किसी भी ईमानदार पत्रकार को उनके आसपास न फटकने दिया जाए। साथ किसी भी ईमानदार पत्रकार को कोई भी सवाल पूछने का मौका न दिया जाए। इतना हीं फुल प्रूफ जुगाड़ के लिए कुछ दलाल किस्म की पत्रकारों का आगे रखकर मीडिया मैनेजमेंट पर भी मोटी रकम खर्च किये जाने की चर्चा है।
कुल मिलाकर योगी आदित्यनाथ जैसे ईमानदार मुख्यमंत्री का 31 अगस्त को गाजियाबाद आगमन भले ही जनता के लिए उत्साह की वजह बना हुआ है, लेकिन योगी का यही दौरा कई अफसरों के लिए इस डर की वजह बना हुआ कि कहीं उनका करप्शन उनके खिलाफ योगी को ऑन स्पॉट कोई फरमान सुनाने को मजबूर न कर दे।

About The Author

आज़ाद ख़ालिद टीवी जर्नलिस्ट हैं, सहारा समय, इंडिया टीवी, वॉयस ऑफ इंडिया, इंडिया न्यूज़ सहित कई नेश्नल न्यूज़ चैनलों में महत्वपूर्ण पदों पर कार्य कर चुके हैं। Read more

Related posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *