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दलालों के बजाए सियासी समझ के लोगों पर कब होगा भरोसा ?

MUSLIM LADY IN YOGI'S RALLYहर मामले पर राजनीति करना भी ठीक नहीं है। उत्तर प्रदेश के सीएम योगी की सभा में एक महिला का बुर्क़ा उतरवाने की ख़बर आ रही है। इसको लेकर कुछ लोग नाराज़गी जता रहे हैं। उनकी भावनाओं की क़दर होनी चाहिए।
लेकिन पुलिस की ज़िम्मेदारी और हालात पर भी ग़ौर करना होगा। सियासी जानकारों की मानें तो अभी तक मुस्लिम ही बीजेपी और योगी को पूरी तरह स्वीकार नहीं कर पाए हैं। वैसे भी बुर्के़ और पर्दे का सम्मान होना चाहिए। हांलाकि ख़ुद कई बुर्क़े वालियों को देखकर लगता है ऐसे बुर्क़े से तो बिना बुर्क़ा ही ठीक है। ऐसे में बुर्के़ वाली महिला की मौजूदगी पर लोगों को भी ताज्जुब ही हुआ होगा। जबकि पुलिस का चौंकना तो लाज़िमी ही है। अगर शक के आधार पर महिला पुलिस ने जांच के नाम पर ये देख ही लिया कि कहीं बुर्के़ की आड़ में किसी महिला के बजाए कोई और ही तो नहीं है, तो शायद इतना ग़ुस्सा न होना चाहिए। साथ ही इससे मुस्लिमों को भी ख़ुश ही होना चाहिए कि किराए की और फ़र्ज़ी मुस्लिमों को बुर्क़े में लाने की ख़बरों की पोल खुल जाएगी। और तो और कुछ लोगों का तो यहां कहना है कि उस महिला को भी सबक़ ही मिलेगा जो योगी समर्थक होने बावजूद सरेआम बेइज़्ज़त की गई।
बहरहाल लाल कपड़े को देखकर जैसे सांड भड़क जाता है उसी तरह से बीजेपी या योगी के नाम पर मुस्लिमों के नाम पर राजनीति करने से परहेज़ लाज़िमी हो गया है। वैसे भी योगी चुनाव से पहले बीजेपी के कार्यकर्ता ज़रूर थे, लेकिन अब वो प्रदेश के सीएम है, और उनको स्वीकार करना या उन तक अपनी गुहार पहुंचाना लोकतंत्र की पंरपरा भी है, जिसका सम्मान ज़रूरी है।
मुस्लिमों का अगर वाक़ई भला करना है तो जज़्बाती नारों और बीजेपी के डर से उबर कर शिक्षा और समाज में राजनीतिक जागरुकता पर ध्यान देना होगा। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, बीएसपी, बीजेपी, आम आदमी पार्टी या कोई भी सियासी पार्टी मुस्लिमों को तब तक कुछ नहीं दे सकती जब तक समाज अपने अंदर से दलालों के बजाए शिक्षित और सियासी समझ के लोगों पर भरोसा नहीं करता। क्योंकि देशभर की मुस्लिम बस्तियों की हर गली कूचे में हर पार्टी का हर प्रकार का अध्यक्ष तो मिल जाएगा, लेकिन कबाड़ी या अंगूठा छाप सोच के कई लोगों को देखकर लगता है कि मुस्लिम समाज को अभी बहुत मंथन की ज़रूरत है।
(लेखक आज़ाद ख़ालिद टीवी पत्रकार हैं, डीडी आंखों देखीं, सहारा समय, इंडिया टीवी, इंडिया न्यूज़ सहित कई नेश्नल चैनलों में महत्पूर्ण पदों पर कार्य कर चुके हैं।)

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आज़ाद ख़ालिद टीवी जर्नलिस्ट हैं, सहारा समय, इंडिया टीवी, वॉयस ऑफ इंडिया, इंडिया न्यूज़ सहित कई नेश्नल न्यूज़ चैनलों में महत्वपूर्ण पदों पर कार्य कर चुके हैं। Read more

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